“कोयलांचल में लोहा चोरों का स्वर्णिम युग – एक नई अर्थव्यवस्था की कहानी”
KANHAIYA KUMAR
धनबाद। अगर आप यह सोच रहे हैं कि MBA या B.Tech ही करियर की गारंटी है, तो जनाब, आप कोयलांचल की जमीन से अंजान हैं। यहां तो “डिप्लोमा इन लोहा चोरी एंड सप्लाई चेन मैनेजमेंट” ने पूरे सिस्टम को पीछे छोड़ दिया है।
जहाँ देश बेरोजगारी की बात कर रहा है, वहीं कोयला क्षेत्र में “लोहा उद्योग” ने खुद को स्टार्टअप इंडिया योजना का अनौपचारिक ब्रांड एम्बेसडर घोषित कर दिया है।
एक समय था जब डोली में कोयला ढोया जाता था। अब वही डोली काट-काट कर सप्लाई हो रही है बोकारो और गिरिडीह के स्टील प्लांट्स में। कहते हैं, जब एक दरवाज़ा बंद होता है तो चोरी का रास्ता खुल जाता है – और यही लोहा चोरों की सफलता की कुंजी है।
“रात में चोर, दिन में सर्वेयर”
दिन में ये गिरोह बड़े प्रोफेशनल अंदाज में BCCL की वर्कशॉप्स का सर्वे करते हैं – बिल्कुल किसी सिविल इंजीनियर की तरह। रात होते ही गैस कटर, बोरी-बस्ता और GPS सिस्टम लेकर निकल पड़ते हैं। हर चोर की जेब में Google Map नहीं, बल्कि “गोदाम मैपिंग ऐप” होता है – कौन सा लोहा कहाँ कटेगा, किस भाव बिकेगा और कोलकाता किस बस से भेजा जाएगा।
“लोहे की मंडी – गोदामों में धमाल”
कोयलांचल का एक नया बाजार उभरा है – “छिनैती बाजार”। यहाँ हर शनिवार-रविवार खुलता है लोहा मेला। कपुरिया-महुदा के वर्मा जी हों या भूली के गोल्डन भाई, सबका टारगेट फिक्स होता है – “कितना लोहा आया और कितना गिरिडीह रवाना हुआ।”
“बैंक मोड़ की बॉडी शॉप – टू-व्हीलर से ट्रक तक”
बैंक मोड़ में गाड़ियां काटी नहीं जातीं, डिजाइनर फॉर्म में दोबारा जन्म लेती हैं। चोरी की बाइक वहां जाती है और कोलकाता में स्कूटी बनकर निकलती है। धंधा ऐसा कि मैकेनिकल इंजीनियर भी शरमा जाएं।
जिस देश में स्टार्टअप और यूनिकॉर्न की बातें हो रही हैं, वहां कोयलांचल में एक ऐसा “जुगाड़ उद्योग” जन्म ले चुका है, जिसे न सरकार मानती है, न अर्थशास्त्री समझते हैं, पर जिसका टर्नओवर बीसीसीएल की नाकामी से बड़ा और पुलिस की पगार से तेज़ है। इस उद्योग का नाम है – “लोहा चोर एंड संस”।
इन्हें चोरी न कहिए, ये “धातु पुनर्चक्रण विशेषज्ञ” हैं। दिन में रिसर्च करते हैं, रात को रिसाइकल। कोयले की धरती पर अब कोयला नहीं, लोहे की गंध आती है।
बहरहाल हम कह सकते है जब देश की अर्थव्यवस्था “मेक इन इंडिया” की बात कर रही हो, तब धनबाद के ये योद्धा “ब्रेक इन इंडिया” में व्यस्त हैं।
कोई इन्हें चोर कहे, लेकिन हम तो कहेंगे – “धातु वैज्ञानिक: राष्ट्र के मौन उद्यमी।”
“क्योंकि कोयलांचल में लोहे की चोरी अब शौक नहीं, परंपरा है।”