प्रयास इंडिया के विद्यार्थियों ने 10वीं बोर्ड परीक्षा में दिखाया कमाल, शिक्षा के क्षेत्र में सामाजिक बदलाव का बना उदाहरण
धनबाद: बीआईटी सिंदरी के छात्रों द्वारा संचालित सामाजिक संस्था ‘प्रयास इंडिया’ के विद्यार्थियों ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि लगन, सही मार्गदर्शन और सामूहिक प्रयासों से किसी भी चुनौती को पार किया जा सकता है। इस वर्ष CBSE और JAC (झारखंड एकेडमिक काउंसिल) की 10वीं बोर्ड परीक्षाओं में संस्था से जुड़े विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए संस्था और पूरे समाज का नाम रोशन किया है।
CBSE बोर्ड में रुद्र अभिषेक का शानदार प्रदर्शन, 96.4% अंकों के साथ टॉप रैंक
CBSE बोर्ड परीक्षा में रुद्र अभिषेक ने 96.4% अंक प्राप्त कर प्रयास इंडिया में टॉप रैंक हासिल किया। इसके अलावा:
मयंक पांडेय – 90%
रोशन कुमार – 82.4%
ओम मिश्रा – 76%
शुभम कुमार – 70%
मयंक पासवान – 69%
सागर कुमार राहा – 67.6%
इन सभी विद्यार्थियों ने मेहनत और समर्पण से उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है।
JAC बोर्ड में बिनीता शर्मा अव्वल, 87.6% अंकों के साथ चमकीं
झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) बोर्ड परीक्षा में बिनीता शर्मा ने 87.6% अंक हासिल कर टॉप किया। अन्य विद्यार्थियों का प्रदर्शन भी सराहनीय रहा:
अनामिका कुमारी – 71.6%
हर्षिता चौधरी – 69.2%
डॉली कुमारी – 68.4%
खुशी कुमारी – 64.8%
जूली कुमारी – 57.6%
खुशी मंडल – 53.6%
प्रयास इंडिया: शिक्षा के माध्यम से सामाजिक बदलाव का वाहक
‘प्रयास इंडिया’ संस्था बीआईटी सिंदरी के छात्रों द्वारा चलाया जा रहा एक स्वैच्छिक सामाजिक प्रयास है, जो आर्थिक रूप से कमजोर तबके के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा, मार्गदर्शन और भावनात्मक सहयोग प्रदान करता है। संस्था का लक्ष्य है “शिक्षा के माध्यम से सामाजिक उत्थान”, और हर वर्ष उनके विद्यार्थी इस उद्देश्य को साकार करते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहे हैं।
विद्यालय, संस्था और अभिभावकों ने दी बधाई
विद्यार्थियों की इस उल्लेखनीय उपलब्धि पर विद्यालय प्रशासन, प्रयास इंडिया के स्वयंसेवकों, और अभिभावकों ने हर्ष व्यक्त किया और विद्यार्थियों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। संस्था से जुड़े स्वयंसेवकों का मानना है कि यदि सही संसाधन और सपोर्ट मिल जाए, तो हर बच्चा सफल हो सकता है।
प्रयास इंडिया जैसे संगठनों की पहल यह दिखाती है कि जब युवाओं का जोश, समाज सेवा की भावना और शिक्षा का संगम होता है, तब असंभव भी संभव हो जाता है। इस वर्ष की बोर्ड परीक्षाओं में विद्यार्थियों की यह सफलता सिर्फ नंबरों की जीत नहीं, बल्कि सपनों, परिश्रम और सामाजिक बदलाव की जीत है।