काशी में आध्यात्मिक रंग में रंगे संघ प्रमुख, बाबा विश्वनाथ के दरबार में अर्चना कर लिया आशीर्वाद
वाराणसी। आध्यात्म और राष्ट्रवाद के संगम में एक नई कड़ी उस समय जुड़ गई, जब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने शनिवार की सुबह श्री काशी विश्वनाथ धाम में पहुंचकर बाबा विश्वनाथ का विधिपूर्वक पूजन किया। यह अवसर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि संघ प्रमुख की उपस्थिति ने इस ऐतिहासिक नगरी में एक नया उत्साह भी भर दिया।
संघ प्रमुख इन दिनों काशी प्रवास पर हैं और उनका यह दौरा पांच दिवसीय है। इस प्रवास का उद्देश्य न केवल धार्मिक स्थलों का दर्शन करना है, बल्कि सामाजिक और संगठनात्मक बैठकों के जरिए संघ के कार्यों की समीक्षा और विस्तार पर भी विचार करना है। इसी क्रम में शनिवार की सुबह करीब 8 बजे वे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर पहुंचे।
वैदिक विधियों से हुआ पूजन
मोहन भागवत का स्वागत मंदिर के पुजारियों और ट्रस्ट के पदाधिकारियों ने पारंपरिक विधियों से किया। वैदिक मंत्रोच्चार के बीच उन्होंने बाबा विश्वनाथ के दिव्य स्वरूप के दर्शन किए और श्रद्धा भाव से पूजा-अर्चना की। उनके साथ उपस्थित संतों और पुरोहितों ने पूरी विधि से पूजा करवाई। इस दौरान मंदिर परिसर में धार्मिक माहौल अत्यंत दिव्य और अनुशासित रहा।
करीब 20 मिनट तक मंदिर परिसर में रुकने के दौरान संघ प्रमुख ने न केवल पूजा की, बल्कि उन्होंने बाबा विश्वनाथ से आशीर्वाद लेकर राष्ट्र की सुख-समृद्धि और जनकल्याण की प्रार्थना की। उनके दर्शन के दौरान मंदिर क्षेत्र को विशेष रूप से आम श्रद्धालुओं के लिए कुछ समय के लिए बंद कर दिया गया था, ताकि व्यवस्था में कोई विघ्न न आए।
चाक-चौबंद रही सुरक्षा व्यवस्था
संघ प्रमुख के आगमन को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस विभाग पहले से ही अलर्ट मोड में थे। मंदिर क्षेत्र में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। परिसर के अंदर और बाहर भारी संख्या में पुलिस बल और खुफिया इकाइयाँ तैनात रहीं। सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जा रही थी, वहीं एसपी सिटी और डीएम स्वयं व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे थे।
इसके अलावा मंदिर प्रशासन ने भी श्रद्धालुओं के मार्ग को सुगम बनाए रखने और भागवत जी की पूजा निर्विघ्न संपन्न कराने के लिए विशेष प्रबंध किए। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बैरिकेडिंग की गई थी और श्रद्धालुओं को वैकल्पिक मार्ग से दर्शन कराने की व्यवस्था की गई थी।
अवलोकन किया विश्वनाथ कॉरिडोर का
पूजन के बाद मोहन भागवत ने हाल ही में बने श्री काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर का भ्रमण भी किया। उन्होंने पूरे परिसर में भ्रमण कर वहां की स्वच्छता, प्रबंधन और सुविधाओं का जायजा लिया। भागवत ने कहा कि इस कॉरिडोर के निर्माण से काशी की धार्मिक और सांस्कृतिक गरिमा को वैश्विक पहचान मिली है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुए इस कायाकल्प की सराहना की और इसे “सनातन संस्कृति का गौरव” बताया।
कॉरिडोर के भव्य स्वरूप को देखकर भागवत ने संतोष व्यक्त किया और इसे सनातन परंपरा के पुनरुत्थान की दिशा में एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि काशी की आत्मा अब और भी प्रकाशित हो उठी है और देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यह धाम एक विशिष्ट अनुभव बन चुका है।
काशीवासियों में दिखा विशेष उत्साह
संघ प्रमुख के दर्शन को लेकर स्थानीय श्रद्धालुओं और काशीवासियों में खासा उत्साह देखने को मिला। जैसे ही यह जानकारी फैली कि मोहन भागवत बाबा विश्वनाथ के दर्शन को आ रहे हैं, मंदिर क्षेत्र में लोगों की उत्सुकता बढ़ गई। भले ही सुरक्षा कारणों से आमजन को उस समय रोका गया, लेकिन पूजन के बाद श्रद्धालुओं ने उन्हें मंदिर परिसर से बाहर निकलते हुए देखा और श्रद्धाभाव से अभिवादन किया।
इस विशेष अवसर पर मंदिर के बाहर भी धार्मिक गीतों की गूंज सुनाई दी और लोगों ने पुष्पवर्षा कर भागवत का स्वागत किया। संघ प्रमुख की उपस्थिति ने संपूर्ण काशी में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार कर दिया।
सामाजिक और संगठनात्मक बैठकों की श्रृंखला
मोहन भागवत का यह दौरा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं देखा जा रहा है, बल्कि इसका सामाजिक और संगठनात्मक महत्व भी है। प्रवास के दौरान वे काशी प्रांत के संघ पदाधिकारियों के साथ विभिन्न बैठकों में भाग लेंगे। इन बैठकों में संघ के आगामी कार्यक्रमों, विस्तार योजनाओं और समाज में समरसता को बढ़ाने के उपायों पर चर्चा की जाएगी।
इसके साथ ही भागवत कई प्रमुख संतों और विचारकों से भी मुलाकात करेंगे और देश में चल रहे सांस्कृतिक आंदोलनों पर विचार-विमर्श करेंगे। उनका यह प्रवास सामाजिक समरसता और वैचारिक नेतृत्व को मजबूत करने की दिशा में एक प्रयास माना जा रहा है।
धार्मिक और सांस्कृतिक परिप्रेक्ष्य में अहम
मोहन भागवत का काशी प्रवास कई मायनों में महत्वपूर्ण है। यह न केवल एक धार्मिक यात्रा है, बल्कि एक संदेश भी है कि भारत की आत्मा उसकी संस्कृति और सनातन परंपरा में बसती है। काशी, जिसे ‘मोक्ष नगरी’ कहा जाता है, वहां संघ प्रमुख की उपस्थिति और पूजन ने आध्यात्मिक चेतना को और भी जीवंत कर दिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस प्रवास से देशभर में एक सकारात्मक संदेश जाएगा कि धर्म और राष्ट्र निर्माण साथ-साथ चल सकते हैं। भागवत के इस दौरे को काशी में एक सांस्कृतिक पुनर्जागरण के रूप में भी देखा जा रहा है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की श्री काशी विश्वनाथ धाम में उपस्थिति केवल एक साधारण धार्मिक यात्रा नहीं थी, बल्कि यह एक प्रेरणादायक, आध्यात्मिक और राष्ट्रभावना से ओत-प्रोत आयोजन था। इसने काशी की गरिमा को और ऊँचा किया, साथ ही यह संदेश भी दिया कि भारत की सनातन संस्कृति में ही देश का भविष्य निहित है।