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यहां होती है रावण की पूजा, भक्तों की लगती है लंबी कतार

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कानपुर :- आप कही अचरज में न पड़ जाएं, पर यह बात सोलह आने सच है.

उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला इलाके में एक ऐसा भी मंदिर है, जहां रावण की पूजा होती है,जहां भक्तों की लंबी कतार देखने को मिलती है.सभी भक्त तेल का दीपक और तरोई का पुष्प चढ़ाकर पूजा अर्चना करते हैं.

 

158 साल पुराना है मंदिर, दशहरे में खुलते हैं कपाट

 

भारत में दशहरा रावण दहन का प्रतीक माना जाता है,जहां रावण को बुराई के रूप में देखा जाता है और उसकी पराजय को विजय के रूप में मनाया जाता है जबकि

उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला इलाके में अवस्थित 158 साल पुराने मंदिर में दशहरे के दिन विशेष रूप से इसके कपाट खोले जाते हैं,जहां रावण की पूजा होती है. इस दिन यहां भक्तगण दशानन रावण की पूजा और आरती करते हैं.सुबह से ही मंदिर के कपाट खुल जाते हैं और शाम को आरती के साथ विशेष पूजा संपन्न होती है. सालभर मंदिर के कपाट बंद ही रहते हैं और सिर्फ दशहरे के दिन ही यहां दर्शन किए जा सकते हैं.मंदिर में स्थापित रावण की प्रतिमा को शक्ति का प्रहरी माना जाता है और विजयदशमी के दिन विशेष श्रृंगार-पूजन किया जाता है.

 

1868 में हुआ था मंदिर का निर्माण

 

वर्ष 1868 में महाराज गुरु प्रसाद शुक्ल ने इस मंदिर का निर्माण कराया था. वे भगवान शिव के परम भक्त थे और रावण को शक्ति और विद्या का प्रतीक मानते थे. उनकी पूजा उनकी विद्वता को ध्यान में रखते हुए की जाती है.

 

रावण का मनाया जाता है जन्मदिन

 

रावण का जन्म अश्वनी माह के शुक्ल पक्ष में हुआ था, इसलिए लोग इनका जन्मदिन भी मनाते हैं और शाम को इनका पुतला दहन भी करते हैं.अहंकारी पुतला दहन किया जाता है, जिससे लोगों का अहंकार खत्म हो.मान्यता है कि भगवान शिव के सबसे प्रिय भक्त रावण थे, जिनको कई शक्तियां प्राप्त थी. उनकी पूजा करने से बुद्धि बल की प्राप्ति होती है.

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