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चित्रा कोल माइंस में लापरवाही चरम पर, उड़ते डस्ट से बढ़ रही बीमारियां

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देवघर: सारठ के चित्रा कोल माइंस में ईसीएल प्रबंधन की लापरवाही से स्थानीय लोग परेशान हैं। खदान से निकलने वाले सैकड़ों ट्रकों की वजह से क्षेत्र में कोयले की डस्ट उड़ने की समस्या विकराल होती जा रही है, जिससे आसपास रहने वाले लोगों को स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

डस्ट की समस्या से बढ़ रहा स्वास्थ्य संकट

चित्रा कोल माइंस से हर दिन सैकड़ों ट्रक कोयला लेकर विभिन्न स्थानों पर जाते हैं, लेकिन इन ट्रकों पर त्रिपाल नहीं ढंका जाता, जिससे रास्ते भर कोयले का डस्ट उड़ता रहता है। इस उड़ती हुई धूल के कारण श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारियां, फेफड़ों के संक्रमण और त्वचा संबंधी समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं।

स्थानीय निवासी श्याम देव मंडल सहित कई जनप्रतिनिधियों का कहना है कि ईसीएल प्रबंधन को इस समस्या की जानकारी होने के बावजूद कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। जबकि खदान क्षेत्र में धूल को नियंत्रित करने के लिए हर दिन कई टैंकर पानी छिड़काव के लिए उपलब्ध कराए जाते हैं, लेकिन इसका सही तरीके से उपयोग नहीं हो रहा है।

ईसीएल प्रबंधन पर उठे सवाल

जनप्रतिनिधियों ने यह भी कहा कि ईसीएल प्रबंधन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोयला लदे ट्रकों पर त्रिपाल बांधने का सख्ती से पालन किया जाए। इसके अलावा डस्ट नियंत्रण के लिए ठेकेदारों को दिए गए टेंडर की निगरानी की जाए। यदि जल्द ही इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में इस क्षेत्र में लोगों की औसत उम्र मात्र 50 साल रह जाएगी, जो निश्चित रूप से एक गंभीर स्वास्थ्य आपदा को दर्शाता है।

प्रशासन और प्रबंधन कब लेगा एक्शन?

स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि जल्द ही ईसीएल प्रबंधन इस मामले को गंभीरता से नहीं लेता, तो आंदोलन किया जाएगा। अब देखने वाली बात होगी कि क्या ईसीएल प्रबंधन जागेगा या फिर स्थानीय लोगों को इसी तरह धूल और बीमारियों से जूझना पड़ेगा।

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