राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन बीसीसीएल जोन की बैठक संपन्न, 14 अप्रैल को सत्याग्रह आंदोलन में शामिल होने की अपील
बाघमारा / सिजुआ। राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर यूनियन (आरसीएमयू) बीसीसीएल जोन के प्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण बैठक कतरास गेस्ट हाउस में आयोजित की गई। बैठक में यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ब्रजेन्द्र सिंह, महामंत्री ए. के. झा सहित बीसीसीएल के सभी क्षेत्रों के यूनियन पदाधिकारी उपस्थित रहे। बैठक के दौरान यूनियन सदस्यों ने अपने पदाधिकारियों का अभिनंदन किया।
बैठक में केंद्र सरकार द्वारा कोल इंडिया में एमडीओ (माइन डेवलपर एंड ऑपरेटर) प्रणाली लागू करने के निर्णय का कड़ा विरोध किया गया। यूनियन ने इसे कोयला श्रमिकों के हितों के खिलाफ बताते हुए भाजपा सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई का ऐलान किया। इस संबंध में चरणबद्ध आंदोलन की रूपरेखा तय करते हुए आगामी 14 अप्रैल को कोयला भवन, धनबाद में सत्याग्रह आंदोलन करने की घोषणा की गई।
यूनियन नेताओं का केंद्र सरकार पर हमला
मंचासीन वक्ताओं ने एमडीओ व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार पर साजिश रचने का आरोप लगाया। यूनियन के महामंत्री ए. के. झा ने कहा कि कोयला श्रमिकों को पहले से ही सुगम आवास, मेडिकल अनफिट सुविधाएँ, रविवार अवकाश, वेतन वृद्धि और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसी कई जरूरी सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं, और अब कोल इंडिया में निजीकरण इन्हें और अधिक कठिनाइयों में डाल देगा। उन्होंने कहा कि यह निजीकरण श्रमिकों के लिए किसी श्राप से कम नहीं होगा।
यूनियन के कार्यकारी अध्यक्ष ब्रजेन्द्र सिंह ने कोयला श्रमिकों से अपील की कि वे 14 अप्रैल को होने वाले सत्याग्रह आंदोलन में अधिक से अधिक संख्या में शामिल होकर इसे सफल बनाएं। उन्होंने कहा कि असंगठित मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए मजदूर यूनियनों को आगे आकर काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार ने असंगठित मजदूरों को भी ठगने का काम किया है, इसलिए उनके अधिकारों की लड़ाई को भी मजबूती से लड़ना होगा।
चरणबद्ध आंदोलन की रणनीति
बैठक में श्रमिकों के हितों की रक्षा के लिए आगे की रणनीति पर भी चर्चा की गई। यूनियन नेताओं ने कहा कि यदि सरकार ने एमडीओ प्रणाली को वापस नहीं लिया, तो आने वाले दिनों में और भी बड़े आंदोलन किए जाएंगे। यूनियन ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि मजदूरों के हक की लड़ाई में कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा।
बैठक में उपस्थित सभी पदाधिकारियों और श्रमिकों ने एकजुट होकर सरकार के खिलाफ संघर्ष करने का संकल्प लिया और 14 अप्रैल को कोयला भवन, धनबाद में आयोजित सत्याग्रह आंदोलन को सफल बनाने की प्रतिबद्धता जताई।