रहस्यों से भरा है ज्वाला देवी का मंदिर, शारदीय नवरात्रि में लाखों श्रद्धालूओं उमड़ती है भीड़
कन्हैया कुमार /ब्यूरो रिपोर्ट
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश) ज्वाला देवी का मंदिर विश्व प्रसिद्ध है.यह मंदिर माता के अन्य मंदिरों की तुलना में अनोखा है क्योंकि यहां पर किसी मूर्ति की पूजा नहीं होती है बल्कि पृथ्वी के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा होती है। इसकी यही विशेषता इस मंदिर को अद्भुत बनाता है.यह मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. यह मंदिर भारत में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है। यह मंदिर लोगों के लिए सुलभ है। राष्ट्रीय राजमार्ग पर स्थित होने के कारण आसानी से यहाँ लोग पहुंच जाते हैं.
क्या है मंदिर का रहस्य
ज्वाला देवी मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि यहां पर सती की जीभ गिरी थी। वहीं ज्वाला देवी मंदिर में बिना तेल और बाती के नौ ज्वालाएं जल रही हैं। इन ज्वालाओं में प्रमुख ज्वाला माता हैं। अन्य आठ ज्वालाओं में मां अन्नपूर्णा, चण्डी, हिंगलाज, विध्यवासिनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका एवं अंजी देवी हैं। कहा जाता है कि इस शक्ति पीठ में देवी के दर्शन करने पर माता जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।
मुगल सम्राट अकबर ने की थी ज्वाला देवी मंदिर की ज्वाला को बुझाने की कोशिश
कहा जाता हैं कि भक्त गोरखनाथ यहां माता की आराधना करते थे. एक बार गोरखनाथ को भूख लगी, तो उन्होंने माता से आग जलाकर पानी गर्म करने को कहा. माता ने आग जला दी, लेकिन गोरखनाथ भिक्षा लेने नहीं आए. कहा जाता है कि तभी से माता अग्नि जलाकर गोरखनाथ की प्रतीक्षा कर रही हैं.
मुगल सम्राट अकबर ने भी ज्वाला देवी मंदिर की ज्वाला को बुझाने की कोशिश की थी. उन्होंने नहर खुदवा दी थी, लेकिन ज्वाला नहीं बुझी. बाद में अकबर ने मंदिर में सोने का छत्र चढ़ाया था. वैज्ञानिकों ने भी कई बार ज्वालाओं को आजमाने की कोशिश की, लेकिन हर बार नाकामी हाथ लगी.
अद्भुत है कुंड का पानी
ज्वाला देवी शक्तिपीठ के पास माता ज्वाला के अलावा एक अन्य चमत्कार कुंड हैं जिसे गोरख डिब्बी के नाम से जाना जाता है। यहां कुंड के पास आकर आपको ऐसा लगेगा की कुंड की पानी बहुत गरम खौलता हुआ है। लेकिन, जब आप पानी का स्पर्श करेंगे तो आपको ऐसा प्रतीत होगा की कुंड का पानी ठंडा है।
रेल व हवाई यात्रा दोनों विकल्प में पहुंचा जा सकता है मंदिर
ज्वाला माता का दर्शन करने आनेवाले श्रद्धालू न सिर्फ ट्रेन बल्कि हवाई जहाज का भी विकल्प चुन सकते हैं.यहाँ एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा भी है। हालांकि, दिल्ली और चंडीगढ़ से कनेक्टिंग उड़ानें हैं, लेकिन वह रोजाना नहीं होती हैं। दूसरा विकल्प शिमला में जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा है, जो 192 किलोमीटर की दूरी पर है। श्रद्धालू दोनों हवाई अड्डों से ज्वाला देवी का दर्शन करने आ सकते हैं.इसके अलावे स्पेशल ट्रेन भी चलाई जाती है.