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चितरा कोलियरी में उड़ते धूलकण और पीने के पानी की किल्लत के खिलाफ संयुक्त ट्रेड यूनियन का हल्ला बोल

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देवघर, अप्रैल 2025:देवघर जिले के एसपी माइंस चितरा कोलियरी में प्रदूषण, पेयजल संकट और मजदूर हितों की उपेक्षा को लेकर संयुक्त ट्रेड यूनियन मोर्चा ने सोमवार को जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। चितरा महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष हुए इस धरने में बड़ी संख्या में कर्मचारी और मजदूर शामिल हुए। आंदोलनकारियों ने साफ शब्दों में चेतावनी दी कि यदि समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो आगे चरणबद्ध आंदोलन छेड़ा जाएगा।

प्रदूषण और मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि चितरा कोलियरी में गर्मी और प्रदूषण की स्थिति बेहद चिंताजनक है। धूलकणों की उड़ान से सांस लेने में तकलीफ हो रही है, और कार्यस्थल पर पेयजल की व्यवस्था तक नहीं है। यूनियनों ने मांग की है कि धूल नियंत्रण के लिए नियमित पानी का छिड़काव किया जाए और शुद्ध पेयजल की तत्काल व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

सात सूत्री मांगों को लेकर सौंपा गया ज्ञापन
धरने के बाद प्रतिनिधिमंडल ने ईसीएल सकतोरिया के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक के नाम महाप्रबंधक, एसपी माइन्स चितरा को सात सूत्री मांग पत्र सौंपा, जिसमें प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

1. मार्च माह के संडे, हॉलिडे एवं ओवरटाइम का भुगतान अविलंब किया जाए।

2. मजदूरों की लंबित पदोन्नति को शीघ्र पूरा किया जाए।

3. कार्यक्षेत्र में पेयजल संकट का समाधान किया जाए।

4. सुरक्षा मानकों में सुधार किया जाए, जिससे दुर्घटनाओं की आशंका को टाला जा सके।

5. प्रदूषण नियंत्रण हेतु नियमित जल छिड़काव की व्यवस्था हो।

6. विस्तार हेतु अधिग्रहित भूमि के विस्थापितों को मुआवजा, पुनर्वास, नौकरी व सुविधाएं दी जाएं।

7. भ्रष्टाचार पर रोक लगाई जाए।

 

भुगतान में लापरवाही से कर्मचारियों में आक्रोश
यूनाइटेड कोल वर्कर्स यूनियन के सचिव पशुपति कोल ने कहा कि मार्च माह में किए गए ओवरटाइम और छुट्टी वाले कार्यदिवसों का भुगतान अब तक नहीं किया गया है। उन्होंने कहा, “प्रबंधन की लापरवाही और मनमानी के खिलाफ आज एक दिवसीय विरोध किया गया है, लेकिन अगर समस्याओं का समाधान नहीं हुआ तो हम मजबूर होकर चरणबद्ध आंदोलन और अनिश्चितकालीन हड़ताल का रास्ता अपनाएंगे।”

सुरक्षा और स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़
प्रदर्शन में शामिल कर्मियों ने आरोप लगाया कि कोलियरी क्षेत्र में सुरक्षा उपाय नाकाफी हैं। सेफ्टी उपकरणों की कमी, खराब मशीनें और नियमित निरीक्षण के अभाव में दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहती है। वहीं धूलकण और प्रदूषण से कई मजदूरों को श्वास संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

प्रशासन और प्रबंधन की चुप्पी पर सवाल
अब तक प्रबंधन की ओर से कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं आई है, जिससे कर्मचारियों में असंतोष और बढ़ गया है। यूनियन प्रतिनिधियों ने जिला प्रशासन से भी हस्तक्षेप की मांग की है।

चितरा कोलियरी में उठी यह आवाज सिर्फ सात मांगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष है जो श्रमिकों के हक और सम्मान को नजरअंदाज कर रही है। आने वाले समय में अगर प्रबंधन ने सुधार नहीं किया, तो यह आंदोलन बड़े स्तर पर व्यापक असर डाल सकता है।

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