भोजपुरी सरधा मंच के राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी में बरसल भावनन के बरखा, कवि लोगन के रहल धमाकेदार प्रस्तुति
BHOJPURI DESK
धनबाद: भोजपुरी सरधा मंच द्वारा आयोजित राष्ट्रीय काव्य गोष्ठी काल्हु रात 8 बजे तक अत्यंत गरिमामय माहौल में संपन्न भइल। एह गोष्ठी में भोजपुरी भाषा, आपरेशन सिंदूर, देशभक्ति आ सामाजिक सरोकार पर केंद्रित कई गोहर कवितन के प्रस्तुति भइल, जेकरा से श्रोतागण भाव-विभोर हो गइलें।
अध्यक्षता आ अतिथियन के गरिमा
एह गोष्ठी के अध्यक्षता कइनी भोजपुरी के जुझारू साहित्यकार आ अवकाशप्राप्त प्राचार्य पं. जगदीश नारायण ओझा।
मुख्य अतिथि रहलें वरिष्ठ पत्रकार उमेश तिवारी, जे कहनी कि “भोजपुरी भाषा के संरक्षण आ प्रचार खातिर अब समाचार माध्यमन में भोजपुरिए में सामग्री छापल जाई।”
विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहनी डॉ. नीरा प्रसाद, जेकरा उपस्थिति से कार्यक्रम के गरिमा अउरी बढ़ गइल।
संचालन में रहल शौर्य
कार्यक्रम के संचालन कईलें मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आ प्रवक्ता प्रो. (डॉ.) शैलेश सिंह ‘शौर्य’, जे आपन ओजस्वी शैली से काव्यपाठ के क्रम के जीवंत बना देनी। ओहनी के संचालन में समय के साथ-साथ भावनओ बहत रहल।
मंच पर कवियन के जलवा
कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सन से आयल कवि आ कवियत्री लोग आपन दमदार प्रस्तुति से माहौल के देशभक्ति, प्रेम, संस्कृति आ भोजपुरी अस्मिता से सराबोर कर देले:
डॉ. नीरा प्रसाद – आपरेशन सिंदूर पर भावुक रचना से तालियों के बौछार पवनी।
राघव पांडेय, सरिता पांडेय, नीरजा पप्पी, सुमन मिश्रा, डॉ. रत्ना वर्मा ‘राज’ – गीत, गज़ल, दोहा आ गवनई से मंच पर समां बांध देले।
आचार्य संजय सिंह ‘चंदन’, संस्था के संस्थापक – ओहनी के देशभक्ति गीत पर सारा मंच गूंज उठल।
संस्था अध्यक्ष प्रमिला श्री तिवारी आ महासचिव संतोष ओझा ‘प्रभाकर’ – भावनात्मक प्रस्तुति से दर्शकजन के दिल छू लेनी।
कार्यक्रम के समापन
अंत में पं. जगदीश नारायण ओझा सब कवियन आ अतिथियन के आभार प्रकट कइनी आ आशीर्वाद दिहनी। ओहनी कहलें कि “भोजपुरी के समृद्ध परंपरा के नई पीढ़ी तक पहुंचावे के जिम्मेदारी अब रचनाकारन के हाथ में बा, जे बड़ी सुंदर तरीका से निभावल जा रहल बा।”
मंच से उठल संदेश
गोष्ठी से ई मजबूत संदेश गइल कि भोजपुरी ना केवल भाषा ह, बलुक एक संवेदना, संस्कृति आ संघर्ष के प्रतीक ह। आ अब समय आ गइल बा कि भोजपुरी के मंचन से निकाल के मुख्यधारा मीडिया, शैक्षणिक संस्थान आ सरकारी दस्तावेज़न तक पहुंचावल जाव।