चार महीने की शादी, गर्भवती पत्नी और बीमार मां… देश के लिए सब कुछ कुर्बान कर गए रामबाबू
धनबाद/सीवान – देशभक्ति और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल बने वसीलपुर गांव के बेटे रामबाबू ने देश की सेवा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। सीवान जिले के जीबी नगर थाना क्षेत्र अंतर्गत वसीलपुर गांव निवासी रामबाबू, जो वर्ष 2018 में बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) में बहाल हुए थे, भारत-पाकिस्तान सीमा पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे। सोमवार रात इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली।
गांव में शोक की लहर, हर आंख नम
मंगलवार सुबह जब डायल 112 की टीम शहीद के गांव पहुंची और परिजनों को इस दुखद समाचार की जानकारी दी, तो पूरे गांव में मातम छा गया। हर कोई शोकाकुल था, हर चेहरा गमगीन। लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि गांव का लाल अब इस दुनिया में नहीं रहा।
चार महीने पहले हुई थी शादी, पत्नी गर्भवती
रामबाबू की शादी चार महीने पूर्व झारखंड के धनबाद जिले में हुई थी। उनकी पत्नी गर्भवती हैं और उन्हें फिलहाल शहादत की जानकारी नहीं दी गई है। घायल होने की सूचना देकर उन्हें मायके धनबाद से मंगलवार सुबह वसीलपुर बुलाया गया है। परिवार इस समय अत्यंत कठिन परिस्थिति से गुजर रहा है।
पिता का पहले ही हुआ था निधन, मां अस्वस्थ
शहीद रामबाबू के पिता रामविचार प्रसाद, जो पूर्व मुखिया रह चुके थे, का दो वर्ष पूर्व ही निधन हो गया था। उनकी मां पहले से ही बीमार चल रही हैं। मां को अब तक बेटे की शहादत की खबर नहीं दी गई है, क्योंकि परिवार उन्हें इस सदमे के लिए तैयार नहीं समझ रहा।
परिवार की उम्मीद थे रामबाबू
दो भाइयों में छोटे रामबाबू ग्रेजुएट थे और परिवार के सबसे मजबूत स्तंभ थे। बड़े भाई हजारीबाग में लोको पायलट के रूप में कार्यरत हैं। रामबाबू ने अपने जीवन को पूरी तरह से परिवार और देश की सेवा को समर्पित कर दिया था।
प्रशासनिक अधिकारियों की संवेदना
शहादत की सूचना मिलते ही अनुमंडल पदाधिकारी सुनील कुमार और अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी अजय सिंह शहीद के घर पहुंचे। उन्होंने परिवार को ढाढ़स बंधाया और हर संभव सहायता का आश्वासन दिया। स्थानीय प्रशासन द्वारा सभी तैयारियों की समीक्षा की गई।
गांव कर रहा है अंतिम दर्शन की तैयारी
परिजनों के अनुसार, शहीद रामबाबू का पार्थिव शरीर बुधवार की दोपहर 3 से 4 बजे तक गांव पहुंचेगा। पूरे गांव में उनके अंतिम दर्शन के लिए तैयारी की जा रही है। ग्रामीणों का तांता लगना शुरू हो गया है। लोग नम आंखों से अपने लाल की एक झलक पाने के लिए प्रतीक्षारत हैं।
राष्ट्रीय क्षति, आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा
रामबाबू की शहादत न केवल एक परिवार की पीड़ा है, बल्कि यह पूरे राष्ट्र की अमूल्य क्षति है। उनका बलिदान आने वाली पीढ़ियों को देशसेवा और समर्पण की प्रेरणा देता रहेगा।