दिल्ली: लोकसभा में वक्फ संशोधन बिल पेश
नई दिल्ली: लोकसभा में संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया। इस विधेयक को लेकर उन्होंने कहा कि यह प्रॉपर्टी मैनेजमेंट से जुड़ा विषय है और इसका उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन को सुनिश्चित करना है। साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि यह बिल किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं है और ना ही धार्मिक व्यवस्थाओं में हस्तक्षेप करता है।
वक्फ बोर्ड में नए प्रावधान
इस विधेयक के तहत वक्फ बोर्ड की संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:
वक्फ बोर्ड में शिया और सुन्नी दोनों समुदायों के प्रतिनिधि रहेंगे।
बोर्ड में तीन सांसदों को शामिल किया जाएगा।
दो महिला सदस्यों की नियुक्ति अनिवार्य होगी।
कुल दस मुस्लिम सदस्य होंगे, जिनमें से दो महिलाएं होंगी।
बोर्ड में दो प्रोफेशनल्स (विशेषज्ञ) भी शामिल किए जाएंगे।
पिछड़े मुसलमानों को भी बोर्ड में प्रतिनिधित्व मिलेगा।
दो रिटायर्ड जजों की भी नियुक्ति की जाएगी।
चार गैर-मुस्लिम सदस्य भी वक्फ बोर्ड का हिस्सा होंगे।
संपत्ति से जुड़े विवादों का समाधान
रिजीजू ने बताया कि यदि कोई सरकारी संपत्ति वक्फ के दावे के तहत आती है तो उसकी जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि वक्फ बोर्ड का सही तरीके से ऑडिट सुनिश्चित किया जाएगा। इस विधेयक के अनुसार, ट्रिब्यूनल के फैसले को अब अंतिम नहीं माना जाएगा और उसे चुनौती दी जा सकेगी।
विधेयक की जरूरत क्यों?
किरेन रिजीजू ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि संसद भवन पर भी वक्फ बोर्ड ने दावा किया था। उन्होंने कहा कि यदि यह विधेयक नहीं लाया जाता, तो संसद भवन भी वक्फ संपत्ति घोषित हो सकता था। इसलिए, यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और उनके दावों की निष्पक्ष जांच के लिए आवश्यक है।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर सरकार ने स्पष्ट किया कि इसका उद्देश्य किसी भी धर्म या समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह वक्फ संपत्तियों के पारदर्शी और प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है। इस बिल के माध्यम से वक्फ बोर्ड की कार्यप्रणाली को अधिक जवाबदेह और समावेशी बनाने की कोशिश की गई है।