धनबाद में फिर सिर चढ़कर बोल रहा कोयला माफिया का बोलबाला, बाघमारा से केसरगढ़ा तक अवैध खनन जोरों पर
धनबाद। देश की कोयला राजधानी के रूप में पहचान रखने वाला धनबाद इन दिनों कोयला माफियाओं के चंगुल में बुरी तरह फंसा हुआ है। बाघमारा अनुमंडल क्षेत्र समेत जिले के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर अवैध कोयला खनन धड़ल्ले से जारी है। हालात ऐसे बन चुके हैं कि प्रशासनिक चुप्पी और लचर निगरानी व्यवस्था ने इस अवैध कारोबार को और भी बेखौफ बना दिया है।
केसरगढ़ा में सांसद का दौरा और खुलासा
गौरतलब है कि हाल ही में गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी ने केसरगढ़ा में चल रहे अवैध माइंस का खुद मौके पर जाकर खुलासा किया था। सांसद अपने समर्थकों के साथ उन जगहों पर पहुंचे, जहां अवैध तरीके से कोयला निकालने का खेल चल रहा था। सांसद के दौरे के बाद कुछ दिन तक खनन कार्य बंद रहा, लेकिन कुछ ही समय बाद यह धंधा फिर से और भी वृहद पैमाने पर शुरू हो गया।
रामकनाली में आउटसोर्सिंग के बगल में अवैध कोयला कटाई
बाघमारा अनुमंडल के रामकनाली ओपी क्षेत्र में आउटसोर्सिंग परियोजना के अंतिम छोर पर अवैध कोयला मुहाने सक्रिय हो गए हैं। इन मुहानों से कोयला काटकर ट्रकों में लोड कर गोविंदपुर और निरसा क्षेत्र के विभिन्न ईंट भट्ठों में भेजा जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, इस अवैध कारोबार की अगुवाई “रौनक” नामक व्यक्ति कर रहा है, जो कई ट्रकों के माध्यम से कोयला की सप्लाई को संचालित करता है।
मौत के मुहाने बने अवैध खदान
धनबाद में अवैध खनन केवल आर्थिक नुकसान ही नहीं, बल्कि जानलेवा भी साबित हो रहा है। बीते कुछ वर्षों में कई निर्दोष मजदूरों की मौत इन खदानों में दबने की वजह से हो चुकी है। बावजूद इसके, न प्रशासन सजग दिख रहा है, न ही कोल कंपनियां सतर्क हैं।
प्रशासन की खामोशी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि इन अवैध गतिविधियों को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। कहीं न कहीं कोयला खनन कंपनी और कोयला माफियाओं की सांठगांठ की बातें भी सामने आ रही हैं।
मांग: अवैध खनन पर हो कड़ी कार्रवाई
जन प्रतिनिधियों और सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि कोयला माफियाओं पर तत्काल कड़ी कार्रवाई की जाए और अवैध खनन से जुड़े नेटवर्क का पर्दाफाश कर दोषियों को सलाखों के पीछे भेजा जाए। साथ ही अवैध खनन स्थलों पर निगरानी के लिए ड्रोन सर्वे, सीसीटीवी निगरानी और स्थायी सुरक्षा बल की तैनाती की मांग उठ रही है।
धनबाद में कोयले का काला कारोबार अब कानून व्यवस्था के लिए चुनौती बन गया है। अगर प्रशासन ने समय रहते सख्ती नहीं दिखाई, तो यह माफिया तंत्र आने वाले समय में और भी विकराल रूप ले सकता है।