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तीन वर्षों के अंधेरे के बाद बांदा गांव हुआ रौशन, विधायक अरूप चटर्जी के प्रयास से डीवीसी ने लगाया 750 KVA ट्रांसफार्मर

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DHANBAD NEWS

धनबाद (पंचेत): बिजली संकट से जूझ रहे पंचेत ओपी क्षेत्र अंतर्गत बांदा गांव के ग्रामीणों के लिए आखिरकार तीन साल बाद राहत की किरण आई है। वर्षों से बिजली की आंखमिचौली और समस्याओं से परेशान ग्रामीणों के घरों में अब उजाला लौटा है। यह सब संभव हो पाया है निरसा विधायक अरूप चटर्जी के अथक प्रयासों और संघर्ष के बाद, जिनकी पहल पर डीवीसी (दामोदर वैली कॉरपोरेशन) ने गांव में 750 केवीए का ट्रांसफार्मर स्थापित कर बिजली आपूर्ति बहाल कर दी है।

लंबा संघर्ष, अब जाकर मिली जीत

गौरतलब है कि बिजली आपूर्ति की मांग को लेकर बांदा गांव के ग्रामीण पिछले तीन वर्षों से लगातार संघर्ष कर रहे थे। डीवीसी पंचेत के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर कई बार धरना, प्रदर्शन और आवेदन दिए गए, लेकिन समाधान नहीं मिला। यहां तक कि डीवीसी प्रबंधन ने ग्रामीणों पर मुकदमे भी दर्ज करवा दिए, जिससे संघर्षरत ग्रामीणों की मुश्किलें और बढ़ गईं।

बांदा पश्चिम के मुखिया भैरव मंडल ने बताया कि गांव के लोग तीन वर्षों से लगातार बिजली की मांग को लेकर लड़ाई लड़ते आ रहे हैं। उन्होंने बताया, “बिजली को लेकर मुकदमे झेलने पड़े, लेकिन हम लोग पीछे नहीं हटे। अंततः विधायक अरूप चटर्जी की पहल से डीवीसी ने ट्रांसफार्मर लगाकर हमें राहत दी।”

मुखिया ने कहा कि पंचेत हाइडल पावर स्टेशन का उद्घाटन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने किया था और उस वक्त यहां के विस्थापितों को मुफ्त बिजली देने का वादा किया गया था। लेकिन वर्षों बाद भी यहां के लोग बिजली जैसी बुनियादी सुविधा से वंचित रहे।

खुशी का माहौल, मिठाइयों से मनाया जश्न

गांव में बिजली बहाल होते ही ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ग्रामीण महिला पुतुल गोराई ने कहा, “तीन साल से हम अंधेरे में जी रहे थे, बच्चों की पढ़ाई तक बाधित हो गई थी। लेकिन अब हम सभी बहुत खुश हैं। विधायक अरूप चटर्जी ने हमारे लिए बहुत बड़ा काम किया है, जो हम कभी नहीं भूलेंगे।”

ग्रामीणों ने एक-दूसरे को लड्डू खिलाकर खुशी का इजहार किया। उन्होंने कहा कि डीवीसी द्वारा उन पर मुकदमा करना मानसिक रूप से और अधिक पीड़ादायक था, लेकिन आज जब उनके घरों में उजाला लौटा है, तो उनके संघर्ष को सार्थकता मिल गई है।

विधायक अरूप चटर्जी बोले – संघर्ष रंग लाया

विधायक अरूप चटर्जी ने कहा कि “यह जीत सिर्फ मेरी नहीं, बल्कि ग्रामीणों की दृढ़ता और एकता की है। पहले के जनप्रतिनिधियों ने इनकी कोई सुनवाई नहीं की। लेकिन मैंने डीवीसी प्रबंधन से मिलकर लगातार इस मुद्दे को उठाया और आखिरकार यह संघर्ष सफल हुआ।”

उन्होंने कहा कि सरकार और प्रशासन का काम है जनता की बुनियादी जरूरतों को पूरा करना, और यह ट्रांसफार्मर लगवाकर हमने उस दिशा में एक छोटा सा प्रयास किया है।

तीन वर्षों तक अंधेरे में जीते ग्रामीणों के जीवन में अब रोशनी लौट आई है। बिजली की बहाली न सिर्फ तकनीकी सुविधा है, बल्कि यह ग्रामीणों के आत्मबल और जनप्रतिनिधियों के ज़मीनी संघर्ष की कहानी भी है। विधायक अरूप चटर्जी के प्रयासों को गांववाले अब सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और उनके प्रति आभार व्यक्त कर रहे हैं।

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