“एक देश, एक चुनाव” विषय पर धनबाद न्यू टाउन हॉल में संगोष्ठी का आयोजन, जनप्रतिनिधि व बुद्धिजीवी वर्ग ने साझा किए विचार
DHANBAD NEWS
धनबाद: देश में चल रहे “एक देश, एक चुनाव” को लेकर बढ़ती बहस के बीच फेडरेशन ऑफ धनबाद जिला चेम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से रविवार को न्यू टाउन हॉल, धनबाद में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में राजनीतिक, सामाजिक और व्यावसायिक क्षेत्रों से जुड़ी कई प्रमुख हस्तियों ने भाग लिया और अपनी राय खुलकर साझा की।
उपस्थिति और मंच की शोभा
संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में विधायक राज सिन्हा, जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह, और सामाजिक क्षेत्र की चर्चित शख्सियत आई कॉन श्वेता किन्नर ने भाग लिया। इनके अलावा शहर के कई प्रतिष्ठित बुद्धिजीवी, सामाजिक कार्यकर्ता, व्यापारी संगठन के प्रतिनिधि, वकील और शिक्षाविद् मौजूद थे।
विधायक राज सिन्हा ने दी विचार की स्पष्टता
विधायक राज सिन्हा ने अपने संबोधन में कहा कि “एक देश, एक चुनाव” की अवधारणा न केवल देश के संसाधनों की बचत करेगी, बल्कि इससे नीति निर्धारण में निरंतरता आएगी और विकास की गति तेज़ होगी। उन्होंने इसे लोकतंत्र की मजबूती की दिशा में एक अहम कदम बताया।
जिप अध्यक्ष शारदा सिंह ने कहा – महिला नेतृत्व की भागीदारी बढ़ेगी
शारदा सिंह ने अपने विचार रखते हुए कहा कि बार-बार चुनाव से प्रशासनिक व्यवस्था बाधित होती है। अगर एक साथ चुनाव होंगे, तो महिलाओं सहित आम लोगों की भागीदारी भी मजबूत होगी और प्रशासनिक ढांचा सशक्त रूप से कार्य कर सकेगा।
श्वेता किन्नर ने उठाई पारदर्शिता की बात
समाजसेवी आई कॉन श्वेता किन्नर ने कहा कि एक साथ चुनाव से न सिर्फ खर्च कम होगा, बल्कि चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता भी आएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि इससे समाज के हाशिए पर खड़े वर्गों को भी स्थायित्व मिलेगा।
व्यापारी संगठनों और बुद्धिजीवियों की राय
फेडरेशन ऑफ चेम्बर के प्रतिनिधियों ने कहा कि बार-बार होने वाले चुनावों से बाजार पर भी असर पड़ता है। अगर एक साथ चुनाव होंगे तो आर्थिक गतिविधियों को रुकावट से बचाया जा सकेगा। बुद्धिजीवी वर्ग ने चुनाव सुधारों की दिशा में इस विषय पर खुले विमर्श की आवश्यकता पर बल दिया।
संगोष्ठी का उद्देश्य
इस संगोष्ठी का उद्देश्य “एक देश, एक चुनाव” जैसे महत्वपूर्ण विषय पर लोकतांत्रिक और बौद्धिक विमर्श को बढ़ावा देना था, जिसमें आम लोगों के साथ-साथ विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों को मंच प्रदान किया गया।
धनबाद में आयोजित यह संगोष्ठी “एक देश, एक चुनाव” पर व्यापक विमर्श का उदाहरण बनी, जहां राजनीति, समाज, व्यापार और विचार की विविध धाराएं एक मंच पर आकर जुड़ीं। ऐसे आयोजनों से न केवल जनजागरूकता बढ़ती है बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को और मजबूत करने की दिशा में सकारात्मक पहल होती है।