काशी में महाशिवरात्रि: बाबा विश्वनाथ के दरबार में उमड़ा श्रद्धा का सैलाब, शिव तांडव ने मोहा मन काशी में महाशिवरात्रि की भव्यता
वाराणसी(उ प्र) :- जिसे काशी या बनारस भी कहा जाता है, शिव की नगरी मानी जाती है। महाशिवरात्रि के अवसर पर यह शहर पूरी तरह से शिवमय हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। इस पावन पर्व पर बाबा विश्वनाथ के भक्त देश-विदेश से काशी पहुंचते हैं और श्रद्धा के सागर में डूब जाते हैं।
गंगा स्नान और काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों का तांता
महाशिवरात्रि के दिन गंगा में स्नान करने की विशेष परंपरा है। भोर होते ही हजारों श्रद्धालु दशाश्वमेध, अस्सी, मणिकर्णिका और पंचगंगा घाटों पर गंगा स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। स्नान के बाद लोग गंगाजल लेकर काशी विश्वनाथ मंदिर की ओर बढ़ते हैं। हर तरफ “हर हर महादेव” और “बम बम भोले” के गगनभेदी जयघोष सुनाई देते हैं।
काशी विश्वनाथ धाम में भक्तों की अपार भीड़ उमड़ पड़ती है। मंदिर को भव्य रूप से सजाया जाता है। फूलों, रंगीन रोशनी और दीपों से सारा वातावरण अलौकिक प्रतीत होता है।
रुद्राभिषेक और विशेष पूजन अनुष्ठान
काशी विश्वनाथ मंदिर में महाशिवरात्रि पर विशेष रुद्राभिषेक और पूजन अनुष्ठान संपन्न होते हैं। शिवलिंग का अभिषेक दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से किया जाता है। मंदिर के पुजारी वेद मंत्रों का उच्चारण करते हैं और श्रद्धालु बेलपत्र, भांग, धतूरा और अक्षत अर्पित करते हैं।
रात के समय विशेष महाआरती का आयोजन होता है। इस आरती में शामिल होने के लिए हज़ारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में एकत्रित होते हैं। दीपों की रोशनी, मंत्रों की गूंज और घंटे-घड़ियालों की ध्वनि पूरे वातावरण को भक्ति से भर देती है।
शिव बारात: भस्म रमाए शिवभक्तों की अनूठी झांकी
महाशिवरात्रि के दिन काशी में शिव बारात का आयोजन किया जाता है। यह बारात भगवान शिव के विवाह उत्सव का प्रतीक है, जिसमें श्रद्धालु शिवजी के बाराती बनकर नाचते-गाते हैं।
बारात में भगवान शिव को नंदी पर विराजमान किया जाता है। उनके साथ नागा साधु, अघोरी, भूत-प्रेत, गण और अन्य शिवभक्त अनोखे रूप में चलते हैं। पूरी बारात में लोग भस्म रमाए, गले में रुद्राक्ष धारण किए, हाथों में डमरू और त्रिशूल लिए नृत्य करते दिखाई देते हैं।
काशी की संकरी गलियों से गुजरती यह बारात पूरी तरह से भक्तिरस में सराबोर होती है। शिवभक्तों की टोली शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते हुए आगे बढ़ती है। बच्चे, बूढ़े, युवा – सभी श्रद्धालु इस अद्भुत बारात में शामिल होकर खुद को धन्य मानते हैं।
शिव तांडव: नृत्य में झलकती अलौकिक शक्ति
महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी में शिव तांडव का विशेष आयोजन किया जाता है। विभिन्न मंदिरों और सांस्कृतिक मंचों पर यह तांडव नृत्य प्रस्तुत किया जाता है।
दमदार डमरू की थाप, मंत्रों की गूंज और नृत्य की तीव्र गतियों के माध्यम से भगवान शिव की अलौकिक शक्ति को प्रस्तुत किया जाता है। कलाकार और साधु-संत इस तांडव को करते हैं, जिससे ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं महादेव प्रकट होकर तांडव कर रहे हों।
इस दृश्य को देखकर भक्त अभिभूत हो जाते हैं और शिव भक्ति में डूब जाते हैं। तांडव नृत्य की यह प्रस्तुति महाशिवरात्रि के उत्सव को और अधिक भव्य बना देती है।
काशी में जगह-जगह भजन संध्या और जागरण
महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी के कोने-कोने में भजन संध्या और जागरण का आयोजन किया जाता है। गंगा घाटों पर संतों द्वारा प्रवचन किए जाते हैं, जिसमें भगवान शिव के अद्भुत गुणों और लीलाओं का वर्णन होता है।
रामनगर, अस्सी घाट, गोदौलिया, मदनपुरा जैसे क्षेत्रों में शिव भजनों की गूंज सुनाई देती है। भक्त झूमते-गाते हुए भक्ति के रंग में रंग जाते हैं। शिवरात्रि जागरण में “शिव महिमा”, “शिव स्तुति” और “शिव तांडव स्तोत्र” का पाठ किया जाता है।
सुरक्षा और श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं
हर साल लाखों श्रद्धालु महाशिवरात्रि पर काशी पहुंचते हैं। इसको देखते हुए प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम किए गए हैं।
पुलिस और सुरक्षाबल तैनात किए गए हैं।
ड्रोन कैमरों से निगरानी रखी जा रही है।
मंदिर में दर्शन के लिए अलग-अलग प्रवेश और निकासी द्वार बनाए गए हैं।
श्रद्धालुओं के लिए नि:शुल्क जलपान और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं।
घाटों और शिवालयों की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया गया है।
काशी में भक्ति और आस्था का महासंगम
महाशिवरात्रि के अवसर पर काशी पूरी तरह से भक्ति और आस्था के महासागर में डूब जाती है। मंदिरों में मंत्रोच्चार, गलियों में शिव नाम का जयघोष और शिवभक्तों की श्रद्धा इस पर्व को दिव्यता प्रदान करती है।
भक्तजन बाबा विश्वनाथ के दर्शन कर अपने जीवन को धन्य मानते हैं। हर कोई अपने मन की कामना लेकर बाबा के चरणों में नतमस्तक होता है।
“हर हर महादेव” के जयघोष से गूंज उठी काशी
महाशिवरात्रि पर वाराणसी में हर जगह केवल शिव का नाम सुनाई देता है। घाटों, मंदिरों, गलियों और बाजारों में हर कोई “हर हर महादेव” के जयघोष के साथ शिवभक्ति में लीन रहता है।
यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि एक अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव होता है। शिव की नगरी काशी में यह पर्व हर साल श्रद्धालुओं को एक नया अनुभव देता है और उन्हें शिव की असीम कृपा का एहसास कराता है।
“हर हर महादेव! बम बम भोले!” के उद्घोष के साथ पूरी काशी शिवमय हो गई है!