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मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में होने के कारण निशीथ काल व देर रात्रि में की जाने वाली पूजा अर्चन व साधनाएं होती है विशेष फलदायी

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पंडित जे शास्त्री आचार्य 8877772070

 

मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में होने के कारण निशीथ काल व देर रात्रि में की जाने वाली पूजा अर्चन व साधनाएं होती है विशेष फलदायी

29 अक्टूबर मंगलवार को धनतेरस में अमृत कलश स्थापित कर रहे वर्ष भर निरोग

31 अक्टूबर गुरुवार को दीपावली पूजन व हनुमंत दर्शन करने से वर्ष भर रहेगे धन धान्य से परिपूर्ण तथा सूर्य और शनि ग्रह रहेंगे अनुकूल

धनतेरस व दीपावली —पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक माह की त्रयोदशी को धन्वन्तरि जयंती अर्थात धनतेरस और अमावस्या तिथि पर रौशनी का पर्व दीपावली मनाई जाती है
इस वर्ष कार्तिक मास त्रयोदशी तिथि 29 अक्टूबर दिन मंगलवार को दिन 10 बजके 59 मिनट से 30 अक्टूबर बुधवार को दिन 1 बज कर 4 मिनट तक रह रही है इसलिए धनतेरस का पवित्र पर्व मंगलवार प्रदोष ब्यापिणी सायं काल 6 बजके 19 मिनट से 8 बजके 15 मिनट तक अत्यंत ही शुभ है इस दिन ही अमृत कलश भगवान विष्णु को प्राप्त हुआ था इसलिए इस दिन यथासंभव भगवान विष्णु को प्रशन्न करे तथा अपने घर मे भी अमृत कलश (नए कलश में धान्य भर कर वर्ष भर रखे ) स्थापित करे ज्योतिष के अनुसार इसके करने से वर्ष भर मनुष्य रोग विमारी से दूर रहता है तथा धन धान्य भरा पूरा रहता है

वही अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर गुरुवार को दिन 3 बजके 11 मिनट से प्रारंभ होकर दूसरे दिन 01 नवंबर शुक्रवार को शाम 5 बजके 12 मिनट तक रहेगी अतः 31 अक्टूबर गुरुवार को दीपावली मनाना ज्यादा शुभ होगा तथा हनुमंत दर्शन से वर्ष भर शनि और सूर्य ग्रह आपके अनुकूल रहेंगे ।

शास्त्रों में बताया गया है कि लक्ष्मी पूजन हमेशा अमावस्या तिथि प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद से लेकर देर रात तक करने का विधान है अर्थात अमावस्या तिथि, प्रदोष काल और निशिताकाल के मुहूर्त में दीपावली मनाना ज्यादा शुभप्रद माना गया है।
क्योकि धार्मिक मान्यता के अनुसार मां लक्ष्मी का प्रादुर्भाव प्रदोष काल में ही हुआ था, जिसके चलते निशीथ काल में मां लक्ष्मी की पूजा और उनसे जुड़े सभी तरह की साधनाएं आदि करना विशेष महत्व रखता है और शुभ फलदायी भी होता है।

इस वर्ष दीपावली पूजन के लिए सर्व श्रेष्ठ मुहूर्त

1,, कुम्भ लग्न –दिन 1 बजके 33 मिनट से 3 बजके 4 मिनट

2,, बृष लग्न— संध्या 6 बजके 11 मिनट से 8 बजके 8 मिनट तक

3,, सिंह लग्न —रात्रि 12 बजके 39 मिनट से 2 बजके 53 मिनट तक

4,,इसके अलावे गुरुवार और निशा के अद्भुत संयोग से पूरी रात्रि पूजन के लिए शुभ फलदायी है

 

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