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रामकनाली भू-धंसान पर अम्बा प्रसाद का तीखा प्रहार, बीसीसीएल और आउटसोर्सिंग कंपनी पर लापरवाही का आरोप

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धनबाद। बाघमारा के रामकनाली क्षेत्र में माँ अम्बे आउटसोर्सिंग कंपनी के अधीन चल रहे खनन कार्य के दौरान हुए भू-धंसान ने पूरे इलाके को दहला दिया है। इस हादसे में कितने लोग दबे हैं, इसका अब तक कोई आधिकारिक आंकड़ा सामने नहीं आया है, लेकिन स्थानीय लोगों का दावा है कि घटना में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हुए हैं। मंगलवार को इस घटना स्थल का निरीक्षण करने बड़कागांव की पूर्व विधायक और कांग्रेस नेत्री अम्बा प्रसाद रामकनाली पहुंचीं। उन्होंने पीड़ित परिवारों से मुलाकात की और घटना स्थल का जायजा लिया।

निरीक्षण के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए अम्बा प्रसाद ने केंद्र और राज्य सरकार दोनों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने साफ कहा कि यह घटना किसी प्राकृतिक आपदा का परिणाम नहीं है, बल्कि यह लापरवाही और जिम्मेदार संस्थाओं के उदासीन रवैये का नतीजा है।

माइंस एक्ट और जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही एजेंसियां

अम्बा प्रसाद ने कहा कि इस मामले में बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) और डीजीएमएस (खनन सुरक्षा महानिदेशालय) की सीधी जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों संस्थाएं अपने दायित्वों से पल्ला झाड़ रही हैं और हादसे के असली कारणों को छिपाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने सवाल उठाया कि माँ अम्बे आउटसोर्सिंग कंपनी को क्या सभी आवश्यक विभागों से क्लियरेंस मिला था? यदि मिला था तो इतनी बड़ी घटना कैसे घट गई, और यदि क्लियरेंस नहीं मिला तो इतनी बड़ी लापरवाही किसके संरक्षण में हो रही थी?

अवैध खनन और लापरवाही का बड़ा खेल

पूर्व विधायक ने कहा कि रामकनाली क्षेत्र में लंबे समय से अवैध कोयला खनन चल रहा है। स्थानीय लोग लगातार इसकी शिकायत करते आ रहे हैं, लेकिन प्रशासन और कंपनी ने इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि लोगों का कहना है कि इस भू-धंसान में सैकड़ों लोग दबे हो सकते हैं। यह बेहद गंभीर स्थिति है और यह दिखाता है कि किस तरह लापरवाही से कोयला उत्खनन हो रहा था।

माँ अम्बे आउटसोर्सिंग को ब्लैक लिस्टेड करने की मांग

अम्बा प्रसाद ने बीसीसीएल से सवाल किया कि ऐसी गंभीर लापरवाही के बाद माँ अम्बे आउटसोर्सिंग कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने की प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की जा रही है। उन्होंने कहा कि यदि कंपनियों को जवाबदेह नहीं बनाया गया तो ऐसी घटनाएं बार-बार होती रहेंगी।

विस्थापन बना बड़ा मुद्दा

अम्बा प्रसाद ने विस्थापन की समस्या को इस घटना से जोड़ते हुए कहा कि यह महज हादसा नहीं बल्कि लोगों की जबरन मौत है। उन्होंने बाघमारा निवासी जादू महतो का उदाहरण देते हुए कहा कि विस्थापन और व्यवस्था से तंग आकर जादू महतो ने आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने कहा कि रामकनाली में हो रही मौतें स्वाभाविक नहीं बल्कि सीधे-सीधे व्यवस्था की हत्या है। ऐसे मामलों में केवल औपचारिक जांच या सांत्वना पर्याप्त नहीं है, बल्कि कानून की कठोर धाराओं के तहत मामला दर्ज होना चाहिए।

सरकार की भूमिका पर साधी चुप्पी

पत्रकारों ने जब अम्बा प्रसाद से झारखंड सरकार की भूमिका पर सवाल पूछा तो उन्होंने सीधा जवाब देने से परहेज किया। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि इस घटना की जानकारी प्रशासन और सरकार दोनों तक पहुंचाई जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो स्थानीय लोगों में आक्रोश और बढ़ेगा।

लोगों का आक्रोश और भय

रामकनाली क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने अम्बा प्रसाद से मुलाकात के दौरान बताया कि वे लगातार खतरे के साए में जी रहे हैं। भू-धंसान की घटनाएं बार-बार हो रही हैं और उनकी सुरक्षा की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। विस्थापन और पुनर्वास की योजनाएं केवल कागजों पर ही सीमित हैं। लोगों का कहना है कि घटना के बाद प्रशासन मौके पर जरूर पहुंचता है लेकिन राहत और पुनर्वास की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाता।

सियासी रंग भी चढ़ा

रामकनाली हादसा अब राजनीतिक रूप भी ले चुका है। विपक्ष लगातार सरकार और बीसीसीएल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा रहा है। अम्बा प्रसाद का यह दौरा भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने पीड़ितों को न्याय दिलाने और जिम्मेदारों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की।

रामकनाली का यह भू-धंसान केवल एक दुर्घटना नहीं बल्कि वर्षों से चली आ रही खनन नीतियों की खामियों और अवैध गतिविधियों का नतीजा है। अम्बा प्रसाद के दौरे ने एक बार फिर इस बहस को हवा दी है कि आखिर खनन क्षेत्र में सुरक्षा और विस्थापन की समस्याओं को कब तक नजरअंदाज किया जाएगा। पीड़ित परिवारों की उम्मीद अब इस बात पर टिकी है कि क्या प्रशासन और सरकार वास्तव में कठोर कदम उठाएगी या यह घटना भी अन्य हादसों की तरह समय के साथ धुंधली पड़ जाएगी।

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