“कोयला चोरों की विदाई, लॉटरी माफिया की अगवानी: धनबाद में ‘क़ानून’ का नया दौर!”
DHANBAD NEWS
धनबाद में एक ज़माना था, जब कोयला चोरों का जलवा था। हर नुक्कड़, हर खदान, हर टोले में कोयले की काली कमाई से रंगीन सपने बुने जाते थे। लेकिन वक्त बदला, कप्तान बदले, और अब कोयला चोरों ने खुद को “संन्यास” की मुद्रा में रख लिया है। हां, चौंकिए मत! अब वे पूजा-पाठ में लीन हैं, और लॉटरी माफिया ने उनका स्थान “सम्मानपूर्वक” ले लिया है।
झारखंड में लॉटरी पर पूर्ण प्रतिबंध!
लेकिन धनबाद वालों ने ठान लिया — “हम तोड़ेंगे नियम, लेकिन लॉटरी नहीं छोड़ेंगे!”
नया एसएसपी साहब आए तो उम्मीद थी कि लॉटरी माफिया भी कोयला चोरों की तरह ‘घर बैठ जाएंगे’। मगर हुआ इसका उल्टा! अब तो माफिया भाई साहब पूरे टशन में हैं — मोबाइल में लिस्ट, जेब में ड्रॉ टाइम, और दिल में आत्मविश्वास कि “पुलिस कुछ नहीं कर सकती”।
बाघमारा: पुराने कोयला गढ़ में नया ‘सिंडिकेट संप्रदाय’
यहां झुंझुनवाला जी नामक संत पुरुष ने अवैध लॉटरी का नया आश्रम खोल लिया है। भक्त बढ़ रहे हैं, एजेंटों की लाइन लगी है, और जनता सुबह-सुबह ‘7 ड्रॉ’ के प्रसाद के लिए टिकट कटवा रही है।
कतरास: जहां हर चौक पर लॉटरी की घंटी बजती है
यहां ‘अनूप जी’ हैं — जो लॉटरी सप्लाई के क्षेत्र में फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट की तरह कार्यरत हैं। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने धुले से सीधा ‘धंधा डिलीवरी’ की सुविधा शुरू कर दी है। एजेंट्स मोबाइल पर ऑर्डर लेते हैं, और टिकट आपके घर तक, “बिना किसी डर के” पहुंचता है।
बेरमो से सिंदरी तक, सिंडिकेट का स्वर्णकाल
बेरमो थाना क्षेत्र में एक “जनसेवी” लॉटरी माफिया हैं, जो खुद को समाजसेवी, जनप्रतिनिधि, और मौके-बेमौके पुलिस मित्र भी घोषित करते हैं। इन्होंने लॉटरी के प्रचार में नया नारा दिया है —
“हर चौक पे बिके हमारी लॉटरी, पुलिस बोले — क्या करें हमारी ड्यूटी थोड़ी भारी!”
The Times Net का स्पष्ट अनुमान:
यदि यही हाल रहा, तो अगले कुछ वर्षों में कोयला से अधिक राजस्व लॉटरी से आने लगेगा — बशर्ते वह सरकारी खजाने में न जाकर कहीं और न चला जाए।
प्रशासन के लिए चुनौती नहीं, अब यह पहचान का सवाल है!
एक ओर जनता रोज़गार और सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं दूसरी ओर ‘सिंडिकेट’ बिना किसी टेंडर, बिना किसी लाइसेंस और बिना किसी डर के अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहा है।
लॉटरी का ‘भाग्य विधाता’ कौन?
पुलिस?
प्रशासन?
या झुंझुनवाला जी और उनके प्यादे?
यह तो वक्त बताएगा…
पर फिलहाल, कोयला की धूल बैठ चुकी है और लॉटरी की चिंगारी फिर से सुलग रही है।
(कृपया यह खबर जीतने वाले टिकट के साथ न पढ़ें, वरना चौंकाने वाले इनाम की जगह नोटिस मिल सकता है!)