| | | | | |

भूमि अधिग्रहण के खिलाफ महाविरोध: विस्थापितों की हुंकार, “जान देंगे, पर जमीन नहीं देंगे”

Spread the love

DHANBAD NEWS

बलियापुर (धनबाद)। स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) टासरा द्वारा बलियापुर क्षेत्र के आसनबनी मौजा में प्रस्तावित लगभग 42 एकड़ उपजाऊ कृषि भूमि के अधिग्रहण के खिलाफ रविवार को सरीसाकुंडी गांव में एक ऐतिहासिक आमसभा आयोजित की गई। यह सभा विस्थापन विस्थापित संघर्ष मुक्ति मंच के बैनर तले हुई, जिसमें सैकड़ों ग्रामीणों और कई पंचायत प्रतिनिधियों ने भाग लेकर अपनी जमीन बचाने का संकल्प लिया।

सभा की अध्यक्षता स्थानीय मुखिया रंगा किस्कू ने की, जबकि मंच संचालन अमृत महतो ने किया। सभा में आसनबनी, सरीसाकुंडी और कालीपुर जैसे प्रभावित गांवों के ग्रामीणों की भारी भागीदारी देखी गई, जो अपनी आजीविका और जीवन की रक्षा के लिए एकजुट नजर आए।

वक्ताओं ने भर दी आंदोलन में नई ऊर्जा

सभा को संबोधित करने वालों में पूर्व मुखिया दिनेश सरखेल, वर्तमान मुखिया डोली हसदा के पति आजाद हंसदा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता आशीष महतो, अधिवक्ता निताई रवानी, युवा नेता राहुल महतो, सुनील मांझी, रवि मरांडी, महिला नेत्री राबड़ी देवी और सुकुरमनी देवी सहित कई ग्रामीण प्रतिनिधि शामिल थे।

इन सभी ने सेल टासरा प्रबंधन की भूमि अधिग्रहण नीति की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि यह महज जमीन का मसला नहीं, बल्कि किसानों की जीविका, अस्मिता और अधिकारों की लड़ाई है। उन्होंने आंदोलन को हर संभव सहायता देने का भरोसा दिलाया और कहा कि यह संघर्ष अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है।

विस्थापन की पीड़ा फिर न दोहराने की अपील

वक्ताओं ने बताया कि इस क्षेत्र के ग्रामीण पहले भी दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) की परियोजनाओं के कारण विस्थापन और दरिद्रता का दंश झेल चुके हैं। अब जबकि उनके पास सीमित कृषि भूमि ही बची है, उसे भी छीनना अमानवीय है। किसानों का कहना है कि विकास के नाम पर बार-बार उजाड़ा जाना न्यायसंगत नहीं है।

“जान देंगे, पर जमीन नहीं देंगे” से गूंज उठा पंडाल

सभा के दौरान ग्रामीणों का आक्रोश स्पष्ट रूप से झलक रहा था। “जान देंगे, पर जमीन नहीं देंगे”, “सेल वापस जाओ”, जैसे नारों से माहौल जोशीला हो उठा। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सेल प्रबंधन उनकी उपजाऊ जमीन को कागजों में बंजर दिखाकर अधिग्रहण की प्रक्रिया को आसान बनाना चाहता है, जो कि पूर्वनियोजित साजिश है।

सेल और प्रशासन को खुली चुनौती

सभा के अंत में सभी ने एकजुट होकर आंदोलन को तेज करने की शपथ ली और कहा कि सेल प्रबंधन और जिला प्रशासन की एकतरफा नीति का डटकर विरोध किया जाएगा। उन्होंने साफ किया कि अगर उनकी जमीन पर जबरन कब्जा किया गया, तो वे सड़क से लेकर न्यायालय तक लड़ाई जारी रखेंगे।

आसनबनी का यह जनआंदोलन अब केवल भूमि अधिग्रहण के विरोध तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि यह झारखंड में जनता बनाम औद्योगिक दमन की नई लड़ाई का प्रतीक बनकर उभर रहा है। आने वाले दिनों में यह संघर्ष राज्यव्यापी रूप ले सकता है, यदि प्रशासन ने ग्रामीणों की मांगों को नजरअंदाज किया।

Similar Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *