50 साल बाद खोई हुई जमीन को फिर से पाया: व्यवसायी सतीश अग्रवाल की बेटी ने दिखाई हिम्मत, जमीन माफियाओं को दी करारी मात
RAJESH KUMAR
हजारीबाग (झारखंड):- झारखंड के हजारीबाग जिले से एक प्रेरणादायक खबर सामने आई है, जहाँ एक प्रतिष्ठित व्यवसायी की बेटी ने 50 वर्ष पूर्व अपने परिवार द्वारा खरीदी गई जमीन पर से भूमाफियाओं के कब्जे की साजिश को विफल कर न केवल अपने पिता का सपना पूरा किया, बल्कि पूरे राज्य में एक नया उदाहरण भी पेश किया।
1968 की खरीदी गई जमीन पर भूमाफियाओं की नजर
प्राप्त जानकारी के अनुसार, हजारीबाग के कांजी बाजार के समीप व्यवसायी सतीश चंद्र अग्रवाल ने वर्ष 1968 में एक बेशकीमती जमीन खरीदी थी। किसी कारणवश उस जमीन की चारदीवारी नहीं कराई जा सकी, और यही कमी जमीन माफियाओं के लिए मौके में तब्दील हो गई। वर्षों से इस जमीन पर स्थानीय भूमाफिया और दलालों की बुरी नजर बनी रही। वे इसे हथियाने की लगातार कोशिशें कर रहे थे।
बेटी ने दिखाई बहादुरी, दिलाई खोई हुई जमीन
ऐसे में व्यवसायी सतीश चंद्र अग्रवाल की बेटी, रंजीता अग्रवाल, ने साहसिक कदम उठाते हुए जमीन की कानूनी स्थिति की जांच करवाई, और न सिर्फ पुरानी जमीन की चारदीवारी कराई, बल्कि कब्जा कर जमीन को संरक्षित भी किया। उन्होंने सभी प्रकार के दबावों और अवैध दावेदारों की परवाह किए बिना अपने साहस, समझदारी और कानूनी जानकारी के बल पर यह काम पूरा किया।
भूमाफियाओं को दिखाई ठेंगा
रंजीता अग्रवाल की इस पहल से वे सभी जमीन दलाल और माफिया तत्व, जो वर्षों से इस जमीन पर अवैध रूप से कब्जा जमाने का प्रयास कर रहे थे, नाकाम हो गए। लाख कोशिशों के बावजूद माफियाओं को मुंह की खानी पड़ी और उन्हें पीछे हटना पड़ा।
झारखंड में जमीन लूट पर करारा तमाचा
यह घटना उस सच्चाई को उजागर करती है, जो आज झारखंड में जमीनों से जुड़ी है। राज्य के कई हिस्सों में जमीन से जुड़े मामले में धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और अवैध कब्जों की घटनाएं आम हो गई हैं। ऐसे में रंजीता अग्रवाल का यह साहसिक कदम न सिर्फ कानूनी जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अगर इरादा मजबूत हो तो कोई भी माफिया जीत नहीं सकता।
स्थानीय निवासियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रंजीता अग्रवाल की हिम्मत और कानूनी समझ की प्रशंसा की है। कई लोगों ने कहा कि यह घटना महिलाओं के लिए भी एक मिसाल है, जो अब केवल घर नहीं संभालतीं, बल्कि संपत्ति की रक्षा और कानूनी लड़ाई में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
हजारीबाग की यह घटना न केवल कानूनी अधिकारों की जीत है, बल्कि समाज में यह संदेश भी देती है कि सच की लड़ाई अगर निडरता से लड़ी जाए, तो जीत निश्चित है। रंजीता अग्रवाल की यह पहल आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है।