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विश्व शांति के पुजारी महावीर स्वामी का जन्मोत्सव भव्य रूप से संपन्न

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NALANDA NEWS

नालंदा (बिहार): आज चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के शुभ अवसर पर अहिंसा, सत्य और करुणा के प्रतीक भगवान महावीर स्वामी जी की जयंती कुण्डलपुर, नालंदा में पूरे श्रद्धा, भक्ति और उल्लास के साथ मनाई गई। इस पावन अवसर पर देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में जैन श्रद्धालु यहां पहुंचे और भगवान के जन्मकल्याणक महोत्सव में भाग लिया।

प्रात:काल तीर्थ स्थल कुण्डलपुर में झण्डारोहण के साथ कार्यक्रम की विधिवत शुरुआत हुई। इसके उपरांत एक भव्य रथयात्रा निकाली गई, जो तीर्थ से प्रारंभ होकर नालंदा म्यूजियम स्थित श्वेताम्बर मंदिर तक गई। इस रथयात्रा में श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बन रहा था – श्रद्धालु जयकारों के साथ नाचते-गाते, मलध्वज, चंवर एवं मंगल कलश लिए भगवान महावीर के रथ के आगे-पीछे चल रहे थे। पूरा वातावरण “अहिंसा परमो धर्मः” और “महावीर स्वामी की जय” के नारों से गूंज उठा।

रथयात्रा मंदिर लौटने के बाद भगवान महावीर की प्रमाण प्रतिमा की विशेष अवगाहना (अभिषेक) की गई। इस दौरान जल, दूध, दही, घी, नारियल जल, मौसमी रस, संतरा रस, हरिद्रा, लालचंदन, केशर, सुगंधित जल एवं पुष्पवृष्टि से भगवान का भव्य अभिषेक संपन्न हुआ। यह धार्मिक अनुष्ठान विश्व शांति और जनकल्याण की कामना के साथ किया गया।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, चैत्र शुक्ल त्रयोदशी की अर्द्धरात्रि को उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी का जन्म राजा सिद्धार्थ और महारानी त्रिशला के घर कुण्डलपुर में हुआ था। तभी से पूरे भारतवर्ष में यह दिन “महावीर जयंती” के रूप में श्रद्धा व धूमधाम से मनाया जाता है।

इस अवसर पर देशभर के कई प्रमुख जैन साधु-साध्वियों के प्रवचन भी आयोजित किए गए, जिनमें भगवान महावीर के उपदेशों – अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, और संयम – को आज की जीवनशैली में अपनाने का आह्वान किया गया।

भगवान महावीर का जीवन संदेश “जियो और जीने दो” आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना उनके समय था। यह जयंती न केवल धार्मिक आस्था का पर्व है, बल्कि यह मानवता, करुणा और सह-अस्तित्व का संदेश लेकर आती है।

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