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पराली जलाने से 30 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख, किसानों में आक्रोश

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नालंदा (बिहार): एक ओर सरकार पराली जलाने पर सख्त रोक लगाने की बात कर रही है, तो दूसरी ओर ज़मीनी हकीकत इसके उलट नजर आ रही है। नालंदा जिले के दीपनगर थाना क्षेत्र अंतर्गत कुंडलपुर-मैगी-नगमा रोड के किनारे स्थित खेतों में भीषण आग लगने से करीब 30 बीघा गेहूं की फसल जलकर राख हो गई। यह आग किसानों द्वारा पराली जलाने के बाद अनियंत्रित रूप से फैल गई और आसपास के खेतों को अपनी चपेट में ले लिया।

कई किसानों की मेहनत स्वाहा, खड़ी और कटी फसल दोनों जलकर नष्ट

घटना के समय कुछ खेतों में गेहूं की फसल कट चुकी थी और खेतों के किनारे पर रखी गई थी, जबकि कई खेतों में गेहूं की खड़ी फसल थी। आग इतनी तेजी से फैली कि देखते ही देखते पूरी फसल खाक हो गई। खेतों से उठता काला धुआं और लपटें दूर-दूर से नजर आ रही थीं।

किसानों ने दी प्रशासन को सूचना, लेकिन पहुंचने में देर

मौके पर मौजूद किसानों ने बताया कि आग लगते ही तुरंत जिलाधिकारी और अग्निशमन विभाग को सूचना दी गई। हालांकि, जब तक दमकल की गाड़ियाँ मौके पर पहुंचीं, तब तक ज्यादातर खेतों की फसल जलकर नष्ट हो चुकी थी। किसानों का आरोप है कि अगर दमकल समय पर आती, तो कुछ फसलें बचाई जा सकती थीं।

कृषि विभाग की निष्क्रियता पर उठे सवाल

स्थानीय किसानों का कहना है कि कृषि विभाग पराली जलाने पर रोक को लेकर केवल कागजी खानापूर्ति करता है। न तो कोई सख्त निगरानी होती है और न ही किसानों को जागरूक किया जाता है। ऐसे में कई किसान अभी भी फसल कटने के बाद पराली जलाने की पुरानी आदत से बाज नहीं आ रहे हैं, जिससे हर साल हजारों बीघा फसल आग की भेंट चढ़ जाती है।

प्रशासन की ओर से कोई मुआवजे की घोषणा नहीं

फिलहाल प्रशासन की ओर से किसी मुआवजे की घोषणा नहीं की गई है। किसानों ने मांग की है कि जिनकी फसलें जलकर नष्ट हो गई हैं, उन्हें आपदा राहत कोष से तत्काल मुआवजा दिया जाए और भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए पराली जलाने पर सख्त कार्रवाई की जाए।

किसानों में आक्रोश, दोषियों पर कार्रवाई की मांग

घटना के बाद से इलाके में किसानों में भारी आक्रोश है। उन्होंने मांग की है कि जिस किसान द्वारा पराली जलाकर आग फैलने का कारण बना, उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए। साथ ही प्रशासन को ऐसी घटनाओं से सबक लेते हुए फसल कटाई के समय विशेष सतर्कता और निगरानी टीमों की तैनाती करनी चाहिए।

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