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राजबीर कंस्ट्रक्शन एक बार फिर सुर्खियों में, पुराना रहा है विवादों से नाता

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RANCHI NEWS

रांची:झारखंड की जानी-मानी निर्माण कंपनी राजबीर कंस्ट्रक्शन प्रा. लि. एक बार फिर चर्चा में है। यह कंपनी न केवल अपने बड़े-बड़े ठेकों और निर्माण कार्यों को लेकर जानी जाती है, बल्कि समय-समय पर विवादों और सरकारी जांचों में भी इसका नाम सामने आता रहा है।

कंपनी का विवादास्पद इतिहास:
राजबीर कंस्ट्रक्शन का विवादों से नाता कोई नया नहीं है।

नवंबर 2013 में आयकर विभाग ने कंपनी के विभिन्न ठिकानों पर छापेमारी की थी।
इस छापेमारी में 50 लाख रुपये नकद बरामद किए गए थे, साथ ही कंपनी द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में किए गए करोड़ों के निवेश से जुड़े दस्तावेज भी जब्त किए गए थे।

इसके बाद वर्ष 2023 में जीएसटी विभाग ने भी कंपनी के कार्यालय पर रेड की थी।
जांच के दौरान जीएसटी में अनियमितताओं और फर्जी बिलिंग को लेकर गंभीर आरोप लगाए गए थे।

कंपनी की स्थापना और संरचना:
राजबीर कंस्ट्रक्शन की स्थापना 4 जून 2007 को हुई थी।

इसके संस्थापक निदेशक हैं विमल अग्रवाल और वीर अग्रवाल।

वर्तमान में कंपनी के निदेशक मंडल में विमल अग्रवाल, वीर अग्रवाल और पुनीत अग्रवाल शामिल हैं।

पुनीत अग्रवाल, वीर अग्रवाल के पुत्र हैं और कंपनी में नई पीढ़ी का नेतृत्व संभाल रहे हैं।

कई अहम परियोजनाएं और सरकारी ठेके:
राजबीर कंस्ट्रक्शन ने झारखंड और आसपास के राज्यों में कई महत्वपूर्ण सरकारी निर्माण परियोजनाओं को अंजाम दिया है, जिनमें सड़क निर्माण, पुल, भवन और शहरी विकास कार्य शामिल हैं। हालांकि, कई बार इन परियोजनाओं की गुणवत्ता, समयसीमा और भुगतान को लेकर भी सवाल उठते रहे हैं।

सरकारी एजेंसियों की जांच के दायरे में रही इस कंपनी की कार्यप्रणाली पर लगातार नजर बनी हुई है। यदि आरोप सिद्ध होते हैं, तो कंपनी को सरकारी ठेकों से हाथ धोना पड़ सकता है।

राजबीर कंस्ट्रक्शन की कहानी झारखंड में निर्माण जगत की उस सच्चाई को भी उजागर करती है, जहां विकास कार्यों के साथ-साथ पारदर्शिता और जवाबदेही की भी सख्त जरूरत है।

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