धनबाद के नए एसएसपी प्रभात कुमार के सामने पांच बड़ी चुनौतियाँ
KANHAIYA KUMAR
धनबाद —कोयला नगरी धनबाद में बुधवार को एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक परिवर्तन हुआ, जब प्रभात कुमार ने नए वरीय पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) के रूप में पदभार ग्रहण किया। उन्होंने समाहरणालय परिसर में अपने कार्यालय में निवर्तमान एसएसपी एच पी जनार्दनन से पदभार ग्रहण किया। प्रभात कुमार कोई नए चेहरे नहीं हैं; वह पहले भी बाघमारा अनुमंडल में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर चुके हैं, इसलिए धनबाद की भौगोलिक, सामाजिक और अपराध-प्रवृत्तियों से अच्छी तरह परिचित हैं।
हालांकि, पिछले चार से पाँच वर्षों में धनबाद में गैरकानूनी गतिविधियों और संगठित अपराध में अप्रत्याशित वृद्धि देखी गई है, जिससे साफ़ होता है कि नए एसएसपी के सामने कई जटिल चुनौतियाँ होंगी। सूत्रों की मानें तो प्रभात कुमार को कम से कम पांच मुख्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, जिन पर यदि समय रहते प्रभावी नियंत्रण पाया जाए तो उनका कार्यकाल उल्लेखनीय और अनुकरणीय बन सकता है।
1. अवैध कोयला कारोबार: अपराध का काला धंधा
धनबाद की पहचान कोयला राजधानी के रूप में है, लेकिन यही पहचान अब इसके लिए एक बड़ी समस्या बन गई है। बाघमारा और निरसा अनुमंडल जैसे इलाकों में अवैध कोयला खनन और तस्करी चरम पर है। प्रतिदिन सैकड़ों ट्रक कोयला चोरी-छिपे निकाला जाता है और बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की मंडियों में भेजा जाता है। इसमें स्थानीय स्तर पर अपराधियों और कुछ प्रभावशाली तत्वों की संलिप्तता भी बताई जाती है।
यह न सिर्फ राजस्व की क्षति है, बल्कि इससे जुड़े अपराधों—जैसे हत्या, अवैध कब्जा, और श्रमिकों का शोषण—भी लगातार बढ़ रहे हैं। प्रभात कुमार को इस पूरे नेटवर्क को चिन्हित कर सख्त कार्रवाई करनी होगी, जिससे इस अवैध व्यापार की रीढ़ तोड़ी जा सके।
2. प्रतिबंधित लॉटरी नेटवर्क: सामाजिक विघटन का माध्यम
धनबाद में एक और गंभीर चुनौती है प्रतिबंधित लॉटरी का बढ़ता नेटवर्क, जो गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को आर्थिक और मानसिक रूप से बर्बाद कर रहा है। खासकर झरिया और धनबाद शहरी क्षेत्र इसका मुख्य केंद्र बन चुके हैं। दिहाड़ी मजदूर, रिक्शा चालक, छोटे दुकानदार तक इस जाल में फँस चुके हैं, जिससे उनके जीवन में अस्थिरता और अवसाद फैल रहा है।
नए एसएसपी को इस नेटवर्क के सूत्रधारों तक पहुँचना होगा और कठोर कानूनी कार्रवाई करनी होगी, जिससे इस अवैध लॉटरी कारोबार को जड़ से समाप्त किया जा सके।
3. गैंगस्टर प्रिंस खान: साइबर और संगठित अपराध का चेहरा
धनबाद पुलिस के लिए सबसे बड़ी व्यक्तिगत चुनौती का नाम है—प्रिंस खान। यह गैंगस्टर विदेश में बैठकर भी धनबाद और आसपास के क्षेत्रों में दहशत फैलाए हुए है। वह व्यवसायियों और आम नागरिकों को फोन पर धमकियाँ देता है और वसूली करता है। उसके गिरोह के कई सदस्य जेल में बंद हैं और पुलिस ने उसके कई बैंक खातों को फ्रीज़ कर दिया है। इंटरपोल ने उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस भी जारी किया है।
फिर भी उसकी पकड़ से बाहर होना पुलिस तंत्र के लिए एक सवाल बना हुआ है। एसएसपी प्रभात कुमार के लिए यह न केवल एक अपराधी को पकड़ने की लड़ाई है, बल्कि एक सन्देश देने का अवसर भी है कि कानून से बड़ा कोई नहीं।
4. सामान्य अपराधों में बढ़ोतरी: सुरक्षा पर सवाल
धनबाद में हाल के दिनों में आम अपराधों—जैसे गोलीबारी, चैन स्नैचिंग, चोरी और लूटपाट—में भी लगातार वृद्धि हुई है। इससे आम लोगों का पुलिस व्यवस्था पर विश्वास डगमगाने लगा है। खासकर बाजार और व्यस्त इलाकों में आपराधिक घटनाएं बढ़ने से महिलाएं और बुजुर्ग असुरक्षित महसूस कर रहे हैं।
प्रभात कुमार को इन घटनाओं पर तत्काल और प्रभावी नियंत्रण स्थापित करना होगा। इसके लिए मोहल्ला समितियाँ, सीसीटीवी नेटवर्क, क्विक रिस्पॉन्स टीम और गश्ती दलों को सक्रिय करने की आवश्यकता है।
5. यातायात व्यवस्था और सड़क सुरक्षा: रोजमर्रा की त्रासदी
धनबाद शहर में ट्रैफिक एक बड़ी समस्या बन गया है। शहर की सड़कें वर्षों पुरानी हैं, लेकिन वाहनों की संख्या में कई गुना इज़ाफा हुआ है। नतीजतन, हर दिन लोगों को घंटों जाम में फँसना पड़ता है। साथ ही, ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से सड़क हादसे भी तेजी से बढ़े हैं।
एसएसपी को यातायात विभाग के साथ मिलकर शहर की ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारने की दिशा में विशेष प्रयास करने होंगे। हेलमेट चेकिंग, नो पार्किंग ज़ोन की निगरानी, स्कूल और कार्यालय टाइम पर ट्रैफिक डायवर्जन जैसे उपाय ज़रूरी होंगे।
संभावनाओं से भरा कार्यकाल
हालांकि चुनौतियाँ अनेक हैं, लेकिन प्रभात कुमार का पूर्व अनुभव और स्थानीय परिस्थितियों की समझ उन्हें एक मजबूत शुरुआत का अवसर देती है। यदि वे इन पांच मुख्य चुनौतियों पर रणनीतिक ढंग से कार्य करते हैं, तो न केवल अपराध पर लगाम लगेगी, बल्कि आम नागरिकों का भरोसा भी पुलिस व्यवस्था पर पुनर्स्थापित होगा।
धनबाद जैसे औद्योगिक और सामाजिक रूप से संवेदनशील जिले में एक सक्षम पुलिस प्रमुख की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही थी। उम्मीद की जानी चाहिए कि प्रभात कुमार इस उम्मीद पर खरे उतरें और धनबाद को एक सुरक्षित, संगठित और सुगठित शहर के रूप में पुनः स्थापित करें।