डिजिटल पेमेंट और कैश ट्रांजैक्शन: आम जनता के लिए बढ़ता खर्च
डिजिटल पेमेंट और कैश ट्रांजैक्शन: आम जनता के लिए बढ़ता खर्च
एक समय था जब लोग किसी भी खरीदारी पर कैश पेमेंट किया करते थे। बाजार में नकदी का लेन-देन आम था और ATM से पैसे निकालने पर मामूली या बिल्कुल भी अतिरिक्त शुल्क नहीं देना पड़ता था। लेकिन समय बदला, डिजिटल क्रांति आई, और सरकार ने कैशलेस ट्रांजैक्शन को बढ़ावा देने के लिए UPI को प्रोत्साहित किया।
UPI ने बदली लोगों की आदतें
UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) की शुरुआत ने भुगतान प्रणाली में बड़ा बदलाव लाया। न कोई अतिरिक्त शुल्क, न ही छोटे नोटों की झंझट—बस QR कोड स्कैन कीजिए और तुरंत पेमेंट हो जाता था। धीरे-धीरे लोगों को इसकी आदत पड़ गई और डिजिटल ट्रांजैक्शन एक सामान्य व्यवहार बन गया।
UPI पर चार्ज लगाने की तैयारी
अब जब ज्यादातर लोग UPI से पेमेंट करने लगे हैं, तो इस पर चार्ज लगाने की बात की जा रही है। इससे आम जनता के बीच चिंता बढ़ गई है क्योंकि मुफ्त सेवा के अभ्यस्त हो चुके लोग अब इसके लिए अतिरिक्त भुगतान करने को मजबूर हो सकते हैं।
कैश पर भी बढ़ता बोझ
जो लोग सोच रहे थे कि अगर UPI पर चार्ज लगेगा, तो वे वापस कैश ट्रांजैक्शन की ओर लौट जाएंगे, उनके लिए भी एक नया झटका आ गया। 1 मई से ATM से कैश निकालने पर चार्ज बढ़ा दिया गया है। अब अगर कोई व्यक्ति बार-बार नकद निकालने की योजना बनाता है, तो उसे अतिरिक्त शुल्क चुकाना होगा।
“भंडारा खाने गए तो भंडारा खत्म, बाहर आए तो चप्पल गायब”
यह पुरानी कहावत आज के दौर में सही साबित हो रही है। पहले लोगों को डिजिटल पेमेंट की ओर आकर्षित किया गया, और अब जब वे इसके आदी हो गए हैं, तो इस पर शुल्क लगाया जा रहा है। दूसरी ओर, कैश पर लौटने वालों को भी अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ेगा।
आम जनता के लिए मुश्किलें बढ़ीं
चाहे डिजिटल पेमेंट हो या कैश, दोनों ही विकल्पों पर बढ़ते शुल्क का असर आम जनता पर पड़ रहा है। अब सवाल यह उठता है कि क्या इससे डिजिटल इंडिया का सपना कमजोर होगा या फिर लोग नई व्यवस्था के साथ एडजस्ट कर लेंगे? यह देखने वाली बात होगी कि आगे आने वाले दिनों में सरकार और वित्तीय संस्थानों की क्या रणनीति रहती है।